Sunday, December 11, 2016

घर और दुकान, नहीं हो रहे हैं सस्ते -Delhi And NCR

पुरे देश में नोट बंदी के चक्कर मैं मंदी छा जाने वाली अफवांहे  तेजी से रफ़्तार पकड़ चुकी है, मगर मंदी है कँहा , किसी को नहीं पता , बल्कि मेरे हिसाब से तो बहुत सी वस्तुओं के दामों मैं भारी रूप से बड़ोत्तरी देखी जा रही है. 

मैं Delhi -NCR  की बात करू तो बाजार मैं निवेशक नहीं हैं, बावजूद इसके Property के मूल्यों में  कोई गिरावट नहीं हैं।  

हाँ ये जरूर है की बैंको के सर्टीफाइड valuer अपनी रिपोर्ट में Property की कीमत को लगभग 20 % कम कर चुके हैं. जिसकी वजह से बैंको को लोन देने में असुविधा के साथ साथ नुकसान भी हो रहा है।  

लेकिन गाज़ियाबाद , नोएडा , ग्रेटर नोएडा में चल रहे नए प्रोजेक्ट में घर और दुकान की कीमत में कोई भी गिरावट नहीं है. ग़ाज़ियाबाद , नोएडा , ग्रेटर नोएडा में तेजी से बढ़ रहे रिहायसी इलाके लोगो को अपनी और आकर्षित भी खूब कर रहे हैं।

बड़े -बड़े डेवलपर के अलावा आज कल बहुत से छोटे डेवलपर भी Property Market में अफोर्डेबल हाउस के साथ अपनी जगह लोगो के बीच बना चुके है।  

Monday, August 22, 2016

प्रॉपर्टी मैं निवेश का सुनहरा अवसर -

दिल्ली एनसीआर के पास , ग़ाज़ियाबाद -नोएडा , ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे पर इस समय अगर प्रॉपर्टी मैं निवेश की सोच रहे हैं तो सुनहरा मौका है.

आजकल बहुत से छोटे छोटे बिल्डर फ्री होल्ड जमीन को लैंड यूज चेंज करके और सम्बंधित कार्यालय से नक्शा पास कराके छोटे -छोटे विला बना रहे ,  जिसका साइज़ 70 sqd से लेकर 95 sqd तक है, जिसमे कार पार्किंग के साथ साथ दो मंजिल तक बिल्डिंग  बनी होती है  , कीमत 35 Lac to 60 Lac . निर्भर करता है कि विला का साइज क्या है और उसकी लोकेसन क्या है. 

बड़े -बड़े नामी बिल्डर से कंही बहुत सस्ता।

Friday, June 11, 2010

खून बेचो या किडनी-धंधा चाहिए. तारकेश्वर गिरी.

चाहे कुछ भी हो, धंधा चाहिए तो चाहिए। चाहे खून बेचो या चाहे किडनी, इस से क्या मतलब । ये शब्द है प्राइवेट बीमा कंपनी में काम करने वाले मैनेजेर साहेब लोगो के। उनके अधीन काम करने वाले लोगो की नीद खुली नहीं की डर सा छा जाता है दीमाग के उपर। की अभी बॉस का फ़ोन ना आ जाये। और ये हकीकत है जब तक ये बेचारे चाय -वाय पीते हैं उसी समय बॉस का नंबर मोबाइल पर धड़कन देने लगता है की अब सुबह ही सुबह बोलू तो क्या बोलू। बॉस पूछता है की आज का धंधा बतावो (धंधा शब्द इन्सुरंस कंपनी में पोलिसी के लिए इस्तेमाल किया जाता है)।
बेचारे सुबह -सुबह किसी तरह से निपट कर के समय से ऑफिस पहुचने की कोशिश करते हैं , थोडा बहुत जाम से निपटते हुए ऑफिस में जैसे ही घुसते हैं , उसी समय बॉस मीटिंग के लिए सबको बुला लेता है। मीटिंग में सीधे धमकी दी जाती है वो भी उन सारे शब्दों के साथ , जो आज से ५० साल पहले जमीदार लोग अपने गुलामो के ऊपर इस्तेमाल करते थे । माँ और बहिन की गाली तो आम है।
गाली के अलावा हमेशा नौकरी से निकाल दिए जाने का खतरा सर पे मंडराता रहता है । इस चक्कर में फर्जी पोलिसी भी डालने से बाज नहीं आते। वेतन जितना भी मिलता है उसका २५-३० % अपने दोस्तों की पोलिसी लेने में ख़त्म कर देते हैं।
कस्टमर की रोज -रोज की गोली से तंग बेचारा करे तो क्या करे। बॉस के सामने किया हुआ प्रोमिस रोज फेल हो जाता है। बेचारा रात को गिरता पड़ता १०-११ बजे घर पहुंचता है तो बीबी की दुत्कार। बछो का होम वर्क। फिर वही कल वाली सुबह।

Monday, April 19, 2010

सुबह -सुबह ही सर पे पेशाब और toilet टपकता है.

सुबह -सुबह ही सर पे पेशाब और toilet टपकता है। माफ़ी चाहूँगा सुबह - सुबह ऐसे शब्दों को लिखते हुए। मगर क्या करू बहुत दिनों से सोच रहा था की इस विषय पर कुछ लिखू , और अभी ऑफिस जाने के लिए भी तैयार होना है, ऑफिस का नाम आते ही दिल्ली का पुराना रेलवे पुल (पुरानी दिल्ली ) की सीन दिमाग मैं आ जाती है। ये पुल जिसको ब्रिटिश सरकार ने ट्रेनों के आने जाने के लिए यमुना नदी पर बनवाया था । ट्रेनों के साथ -साथ उस पर छोटे वाहनों के आने - जाने की भी व्यस्था भी है।

लेकिन आज बदलते समय मैं उसकी देख रेख कोई भी नहीं कर रहा है। देख -रेख के आभाव मैं उसकी हालत इनती जर्जर हो चुकी है की मैं क्या लिखू। सुबुह - सुबह दूर -दूर से ट्रेने आती है, उन ट्रेने पर बैठे हुए यात्रियों की नीद खुलती है तो उन्हें शोचालय नज़र आता है, और जैसे ही यात्री शौचालय का इस्तेमाल करते हैं तो सारा का सारा मॉल पुल के नीचे जा रहे लोगो के सर पर टपकने लगता है।

सोचिये की क्या हाल होता है बेचारो का एक तो यमुना नदी मैं बहते हुए पानी की बदबू और उपर से सर पे टपकता हुआ मल -मूत्र।

Sunday, April 18, 2010

इतनी ठंडी , भाई वाह! मजा आ गया.

कितनी ठण्ड है , सचमुच मजा आ गया, आखिर ठण्ड पड़े भी तो क्यों नहीं, अप्रैल का आधा महिना ख़त्म होने को है , ठण्ड अब नहीं पड़ेगी तो कब पड़ेगी। आने वाले दिनों मैं मौसम विभाग ने जानकारी दी है की दिल्ली और आसपास के इलाको मैं ठण्ड और बढेगी।
वैसे तो ब्लोग्वानी पर गर्मी ज्यादा हो रही है, कोई किसी मुद्दे को लेकर के बैठा है तो कोई किसी मुद्दे को। दिल्ली मैं खूब तेजी से विकास कार्य हो रहा है उसकी वजह से दिल्ली मैं १०% पेड़ो को काट दिया गया है इसलिए दिल्ली मैं ठण्ड कुछ ज्यादा ही पड़रही है।
मेरी आपसे येही सलाह है की घर से निकलते समय कुछ खा पीकर के ही निकले। और दोपहर मैं ठण्ड का असर कुछ ज्यादा हो जाता है इसलिए स्वेटर की जगह पुरे शरीर को सूती कपडे से ढक करके ही निकले। पानी हमेशा अपने साथ रखे और अगर पानी ना मिले तो दिल्ली सरकार ने जगह - जगह पर ठन्डे पानी की व्यस्था कर रखी है, बस उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी और कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं मात्र ४० रूपया। और ४० रूपया मैं भाई वाह! इतने ठंडी , भाई वाह! मजा आ गया।

Tuesday, February 2, 2010

उफ़ ये दिल्ली की गर्मी।

अभी कुछ ही दिन पहले की बात है की लोग ढंड से परेशान थे और सबकी जुबान पर एक ही बात थी उफ़ ये ठण्ड मार ही डालेगी, मगर अब मौसम बदल गया है, आज कल दिल्ली के मौसम का मिजाज अलग हो गया है। रात मैं ठण्ड और दिन मैं गर्मी। मुझे तो ये लग रहा है की बहुत ही जल्द दिल्ली वाले कहने लगेंगे की उफ़ ये गर्मी।
और गर्मी आये भी क्यों नहीं जब दिल्ली और दिल्ली के आसपास इतने सारे पेड़ विकास के नाम पर काटे जायेंगे तो क्या होगा। खेल के चक्कर मैं दिल्ली के पर्यावरण का पूरा का पूरा खेल ही बिगड़ गया है।

Thursday, December 3, 2009

एक जंगल ये भी है

एक जंगल ये भी जहाँ जानवरों के साथ साथ इन्सान भी रहते हैं, जानवरों के बीच में कोई भी खतरनाक जानवर नही है मगर इंसानों के बीच में हजारो की गिनती में खतरनाक जानवर मिलेंगेसबसे ज्यादा इंसानी जानवर सरकारी मोहल्ले में पाए जाते हैं , जिनको अक्कल नाम की बिल्कुल भी कोई वस्तु उनके पास नही हैअगर अक्कल नाम की कोई चीज उनके पास होती तो शायद प्रकृति को बचाने में उसका योगदान जरुर करते

बात दिल्ली की है, दिलशाद गार्डेन से कश्मीरी गेट तक, अक्षरधाम से गाजीपुर तक , गाजीपुर से दिलशाद गार्डेन तक, फ्लाई ओवर बनाने के चक्कर में ८० प्रतिशत तक पेड़ो को काट दिया गया है, अधिकारी चाहते और दिमाग से काम लेते तो तो शायद बड़ी मात्रा में पेड़ो को बचाया जा सकता थाआप लोग ख़ुद भी देख सकते हैं ऐसी -ऐसी जगह से पेड़ो को काटा गया हैं , जो निर्माण स्थल से काफी दूर हैं उन्हें भी रास्ते से हटा दिया गया हैदिलशाद गार्डेन से ले कर के गाज़ियाबाद के मोहन नगर के बीच में सैकड़ो की संख्या में बड़े और पुराने पेड़ो को काट दिया गया है,

आप में से कई लोग प्रतिदिन इन रास्तो से आते जातें होंगे , मगर क्या आप ने कभी सोचा की ये क्या हो रहा है