Monday, April 19, 2010

सुबह -सुबह ही सर पे पेशाब और toilet टपकता है.

सुबह -सुबह ही सर पे पेशाब और toilet टपकता है। माफ़ी चाहूँगा सुबह - सुबह ऐसे शब्दों को लिखते हुए। मगर क्या करू बहुत दिनों से सोच रहा था की इस विषय पर कुछ लिखू , और अभी ऑफिस जाने के लिए भी तैयार होना है, ऑफिस का नाम आते ही दिल्ली का पुराना रेलवे पुल (पुरानी दिल्ली ) की सीन दिमाग मैं आ जाती है। ये पुल जिसको ब्रिटिश सरकार ने ट्रेनों के आने जाने के लिए यमुना नदी पर बनवाया था । ट्रेनों के साथ -साथ उस पर छोटे वाहनों के आने - जाने की भी व्यस्था भी है।

लेकिन आज बदलते समय मैं उसकी देख रेख कोई भी नहीं कर रहा है। देख -रेख के आभाव मैं उसकी हालत इनती जर्जर हो चुकी है की मैं क्या लिखू। सुबुह - सुबह दूर -दूर से ट्रेने आती है, उन ट्रेने पर बैठे हुए यात्रियों की नीद खुलती है तो उन्हें शोचालय नज़र आता है, और जैसे ही यात्री शौचालय का इस्तेमाल करते हैं तो सारा का सारा मॉल पुल के नीचे जा रहे लोगो के सर पर टपकने लगता है।

सोचिये की क्या हाल होता है बेचारो का एक तो यमुना नदी मैं बहते हुए पानी की बदबू और उपर से सर पे टपकता हुआ मल -मूत्र।

Sunday, April 18, 2010

इतनी ठंडी , भाई वाह! मजा आ गया.

कितनी ठण्ड है , सचमुच मजा आ गया, आखिर ठण्ड पड़े भी तो क्यों नहीं, अप्रैल का आधा महिना ख़त्म होने को है , ठण्ड अब नहीं पड़ेगी तो कब पड़ेगी। आने वाले दिनों मैं मौसम विभाग ने जानकारी दी है की दिल्ली और आसपास के इलाको मैं ठण्ड और बढेगी।
वैसे तो ब्लोग्वानी पर गर्मी ज्यादा हो रही है, कोई किसी मुद्दे को लेकर के बैठा है तो कोई किसी मुद्दे को। दिल्ली मैं खूब तेजी से विकास कार्य हो रहा है उसकी वजह से दिल्ली मैं १०% पेड़ो को काट दिया गया है इसलिए दिल्ली मैं ठण्ड कुछ ज्यादा ही पड़रही है।
मेरी आपसे येही सलाह है की घर से निकलते समय कुछ खा पीकर के ही निकले। और दोपहर मैं ठण्ड का असर कुछ ज्यादा हो जाता है इसलिए स्वेटर की जगह पुरे शरीर को सूती कपडे से ढक करके ही निकले। पानी हमेशा अपने साथ रखे और अगर पानी ना मिले तो दिल्ली सरकार ने जगह - जगह पर ठन्डे पानी की व्यस्था कर रखी है, बस उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी और कीमत भी कुछ ज्यादा नहीं मात्र ४० रूपया। और ४० रूपया मैं भाई वाह! इतने ठंडी , भाई वाह! मजा आ गया।